जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते, उन्ही को क्रोध अधिक आता है।” – रबीन्द्रनाथ टैगोर
विश्वास वह पक्षी है, जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
समय परिवर्तन का धन है, परंतु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
उपदेश देना सरल है, पर समाधान बताना कठिन।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
मत बोलो, यह सुबह है और इसे कल के नाम के साथ खारिज मत करो। इसे एक जन्मजात बच्चे की तरह देखो, जिसका अभी कोई नाम नहीं है।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
मन का धर्म है मनन करना, मनन में ही उसे आनंद है, मनन में बाधा प्राप्त होने से उसे पीड़ा होती है।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है, जो उसे मारना चाहते हैं।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
फूल की पंखुड़ियों को तोड़ कर आप उसकी सुंदरता को इकठ्ठा नहीं करते।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है।”
– रबीन्द्रनाथ टैगोर
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